मनुष्य श्रद्धामय है। जैसी श्रद्धा वैसा जीवन। मिथ्या श्रद्धा, जीवन मिथ्या। सम्यक् श्रद्धा, जीवन सम्यक् । प्रभु श्रद्धा, जीवन प्रभु । पवित्र श्रद्धा बीज का अंतर मानस भूमि में वमन करना जीवन को पवित्र निर्मल बनाने के लिए अनिवार्य है। बीज वपन की यह प्रकिया बौद्धिक स्तर पर सम्पन्न नहीं होती, अपितु भावन